भारतीय अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है और वर्तमान में जूट उद्यमी योजना की मदद से इस उद्योग को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। बंटवारे से पहले जूट उद्योग के मामले में भारत का एकाधिकार था। उस समय कच्चा जूट भारत से स्कॉटलैंड भेजा जाता था, जहां जूट के प्रोडक्ट जैसे टाट और बोरियां बनाकर विश्व के अलग-अलग देशों में भेजा जाता था। वर्तमान में जूट से बने प्रोडक्ट की मांग पूरी दुनिया में होती है, क्योंकि भारत का जूट सबसे बेहतर क्वालिटी का है। यही वजह है कि भारत में जूट को “सोने का रेशा” यानी “गोल्ड फ़ाइबर” कहा जाता है।
भारत में जूट उद्योग का इतिहास
भारत में जूट उद्योग का इतिहास काफ़ी पुराना है। भारत में जूट का पहला कारख़ाना 1859 में स्कॉटलैंड के व्यापारी जॉर्ज ऑकलैंड ने बंगाल में श्रीरामपुर के पास स्थापित किया था। धीरे-धीरे जूट उद्योग का विकास हुआ और 1939 में जूट कारख़ानों की संख्या बढ़कर 105 हो गई। बंटवारे से पहले भारत में जूट के कुल 112 कारख़ाने थे, लेकिन बंटवारे के समय 10 कारख़ाने पाकिस्तान को दे दिए गए। जिससे भारत में जूट उद्योग के विकास पर प्रभाव पड़ा।
1949 में भारतीय रूपये के अवमूल्यन (Devaluation) की वजह से भारतीय कारख़ानों के लिए पाकिस्तान का कच्चा जूट बहुत महंगा हो गया। पाकिस्तान ने इसका बहुत लाभ उठाया, लेकिन भारत सरकार ने जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया। उसके बाद से भारत सरकार जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर अलग-अलग योजनाएं शुरू करती रही है। जूट उद्यमी योजना (Coir Udyami Yojana – CUY), उनमें से ही एक योजना है, जिसकी शुरुआत जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए की गई है। इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि जूट उद्यमी योजना क्या है एवं इसका लाभ किसे और कैसे मिल सकता है?
जूट उद्यमी योजना क्या है?
जूट उद्योग को संकट से निकालने के लिए भारत सरकार ने जूट उद्यमी योजना की शुरुआत की। यह एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है। इस योजना के तहत भारत सरकार की तरफ़ से उद्योग शुरू करके उसे आगे बढ़ाने के लिए जूट निर्माण इकाइयों के उद्यमियों को 10 लाख रूपये की आर्थिक मदद दी जाती है। जूट उद्यमी योजना एडवांस और लोन का मिल-जुला रूप है। इस योजना के तहत जूट से संबंधित नया बिज़नेस शुरू करने के अलावा उसे आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद मिलती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए जूट प्रोडक्ट का बिज़नेस करने वाले व्यवसायी को शुरुआत में थोड़ी पूंजी निवेश करना होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जूट निर्माण यूनिट स्थापित करने के इच्छुक लोग स्टार्ट-अप के तौर पर जूट मैनुफैक्चरिंग यूनिट भी शुरु कर सकते हैं।
जूट उद्यमी योजना की विशेषताएं
1. इस योजना के तहत पहले से स्थापित या नए जूट मैनुफैक्चरिंग यूनिट को शुरू करने के लिए सब्सिडी और बिज़नेस लोन मिलता है। प्रोजेक्ट की लागत 10 लाख रूपये तक होनी चाहिए, तभी लोन पास हो सकता है।
2. प्रोजेक्ट में वर्किंग कैपिटल की कुल लागत 25% से अधिक नहीं होना चाहिए।
3. जूट उद्यमी योजना के तहत प्रति प्रोजेक्ट 10 लाख रूपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है, लेकिन कुल लागत का 5% हिस्सा उद्यमी/कारोबारी को खुद वहन करना पड़ता है।
4. जूट उद्यमी, प्रोजेक्ट के लिए सरकार की तरफ़ से 40% की सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं।
5. इस योजना के तहत जूट उद्यमी को प्रोजेक्ट की लागत का 55% लोन के तहत मिल सकता है।
जूट उद्यमी योजना का लाभ किसे मिल सकता है?
जूट उद्यमी योजना (Coir Udyami Yojana – CUY) का लाभ 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यवसायी ले सकते हैं, जो जूट फ़ाइबर, यार्न और इनसे बने प्रोडक्ट का बिज़नेस करते हों या करना चाहते हों। इस योजना के तहत एक व्यक्ति के साथ ही एक संगठन भी बिज़नेस लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानें जूट उद्यमी योजना के तहत कौन-कौन लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं:
1. कंपनी
2. एक व्यक्ति
3. गैर सरकारी संगठन (NGO)
4. स्वयं सहायता समूह
5. रजिस्टर्ड सोसायटी
6. उत्पादन सहकारी समिति और धर्मार्थ ट्रस्ट
7. संयुक्त लायबिलिटी समूह
हालांकि, अगर कोई व्यवसायी या संस्था इससे पहले केंद्र या राज्य सरकार की किसी अन्य योजना के तहत सब्सिडी का लाभ ले चुके हैं, तो वह जूट उद्यमी योजना (CUY) के तहत मिलने वाले लोन का लाभ नहीं ले सकते हैं।
जूट उद्यमी योजना का लाभ लेने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
इस योजना के तहत लोन का आवेदन करने के लिए निम्न दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है-
1. पहचान प्रमाण पत्र
2. निवास प्रमाण पत्र
3. मकान का नक़्शा और उसके मालिकाना हक़ की कॉपी, जिसमें जूट उद्योग चल रहा है या खोलने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा अगर मकान किराए पर लिया गया है, तो मकान मालिक द्वारा मिला हुआ NOC आवश्यक है।
4. आरक्षित श्रेणी का लाभ लेने के लिए तहसीलदार/SDM या समकक्ष अधिकारी द्वारा जारी किया गया जाति प्रमाण पत्र।
5. अगर कोई व्यक्ति अकेले आवेदन कर रहा है, तो केवल एक फ़ॉर्म चाहिए। लेकिन, संगठन के रूप में आवेदन करते समय संगठन के उपनियमों की प्रमाणित कॉपी लगाना अनिवार्य है।
6. बिज़नेस संबंधी खर्चों का पूरा लेखा-जोखा देना होगा। जैसे- बिज़नेस में अब तक कितना खर्च हो चुका है, कितना होने वाला है, किन-किन चीजों पर खर्च किया गया है या किन चीजों पर खर्च किया जाएगा आदि।
7. अगर व्यक्ति किसी जूट उद्योग में पहले काम कर चुका है, तो उसका अनुभव प्रमाण पत्र।
8. उद्यमिता विकास कार्यक्रम (Entrepreneurship Development Programme) का ट्रेनिंग सर्टिफिकेट।
9. उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र।
बही-खाता क्या है? जानें बिज़नेस में इसके 4 महत्व
जूट उद्यमी योजना के लिए कैसे करें आवेदन?
इस योजना का लाभ पाने के लिए उद्यमी/संगठन ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों ही तरह से आवेदन कर सकते हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है:
ऑफ़लाइन आवेदन प्रक्रिया
1. जूट उद्यमी योजना का लाभ पाने के लिए ऑफ़लाइन आवेदन करने वाले व्यक्ति को जूट बोर्ड कार्यालय, ज़िला औद्योगिक केंद्र, जूट प्रोजेक्ट कार्यालय, पंचायती राज विभाग या जूट बोर्ड द्वारा नामित किए गए कार्यालय में जाना होगा।
2. इनमें से किसी एक जगह से आवेदन फ़ॉर्म लेकर उसमें सभी जानकारी सही-सही भरें।
3. ज़रूरी दस्तावेज़ों की फ़ोटो कॉपी लगाकर फ़ॉर्म जमा करें।
4. फ़ॉर्म मिलने के बाद जानकारी और दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी और सब कुछ सही होने पर आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया जाएगा।
5. कुछ दिनों बाद योजना का लाभ आवेदन कर्ता को अपने आप मिल जाएगा।
ऑनलाइन प्रक्रिया
1. इस योजना का लाभ पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने वालों को सबसे पहले जूट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट http://coirservices.gov.in/frm_login.aspx पर लॉगिन करना होगा।
2. वेबसाइट पर पहले बॉक्स में ही आपको ‘Coir Udyami Yojana’ का ऑप्शन दिखाई देगा। वहां ‘Apply Now’ पर क्लिक करें।
3. अगर आप पहली बार इस योजना के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो ‘New Login Registration’ पर क्लिक करें।
4. इसके बाद आपके सामने एक रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म खुलेगा, वहां मांगी गई सभी जानकारी भरें और ‘Confirm’ पर क्लिक करें।
5. आगे मांगी गई अन्य जानकारी भरकर सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों की PDF फाइल अपलोड करें और फ़ॉर्म सबमिट कर दें। इतना करते ही आपका ऑनलाइन आवेदन पूरा हो जाएगा।
6. जानकारी वेरिफ़ाई करने के बाद अगर सब कुछ सही हुआ, तो आपको इस योजना का लाभ मिल जाएगा।
निष्कर्ष
भारत में जूट उद्योग का इतिहास काफ़ी पुराना है। बंटवारे से पहले जूट उद्योग में भारत का एकाधिकार था। आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान में भी जूट से बने प्रोडक्ट की मांग पूरी दुनिया में होती है, क्योंकि भारत का जूट सबसे बेहतर क्वालिटी का है। यही वजह है कि भारत में जूट को “सोने का रेशा” यानी “गोल्ड फ़ाइबर” कहा जाता है। जूट उद्योग से जुड़े हुए लोगों की आर्थिक मदद के लिए सरकार ने जूट उद्यमी योजना की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत व्यवसायियों को आर्थिक मदद प्रदान की जाती है।
बिज़नेस संबंधी अन्य रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए MyBusiness ब्लॉग पेज पर आते रहें।