बिज़नेस शुरू करना पहला कदम है, लेकिन उसे सही तरह से चलाना और लाभ कमाना कठिन काम है। बही-खाते को सही तरीके से अपनाए बिना बिज़नेस को सफल बनाना काफ़ी मुश्किल है।
आप भले ही अपने बिज़नेस की अकाउंटिंग को मैनेज़ करने के लिए CA रखें, लेकिन एक व्यवसायी के रूप में आपको अपने बिज़नेस के फ़ाइनेंस के बारे में जागरूक होना चाहिए और आपको बही-खाते की अच्छी समझ होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में हम बही-खाता क्या है छोटे बिज़नेस के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है, इसके बारे में जानेंगे।
बही-खाता क्या है?
बही-खाता किसी भी बिज़नेस की जीवन रेखा है। यह बिज़नेस और फ़ाइनेंस संबंधी सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है।
यह बिक्री और खर्चों से लेकर की गई पेमेंट और मिलने वाली पेमेंट तक, आपके बिज़नेस के सभी वित्तीय लेन-देन की व्यवस्थित रिकॉर्डिंग है। सटीक और अपडेटेड रिकॉर्ड बनाए रखने से आप अपने बिज़नेस फ़ाइनेंस के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जिससे बिज़नेस के भविष्य के लिए सही निर्णय लेने और योजना बनाने में आसानी होती है।
छोटे बिज़नेस में बही-खाता सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड अपडेटे, सही और व्यापक (Comprehensive) है।
अकाउंटिंग में बही-खाता
बही-खाते के बारे में विस्तार से समझने से पहले, अकाउंटिंग के साथ इसके संबंध को समझना आवश्यक है।
ज़्यादातर लोग बही-खाता और अकाउंटिंग को एक समझ लेते हैं। जबकि; बही-खाता और अकाउंटिंग बिज़नेस फ़ाइनेंस के दो अलग-अलग, लेकिन एक दूसरे के पूरक भाग हैं।
बही-खाता पूरे अकाउंटिंग सिस्टम का एक खंड है। बही-खाता आपके अकाउंटिंग की नींव है, क्योंकि इसमें सभी वित्तीय लेन-देन का सही रिकॉर्ड होता है। दूसरी ओर, अकाउंटिंग आपके बिज़नेस के वित्तीय लेन-देन को व्यवस्थित करने, सारांशित करने, वर्गीकृत करने और रिपोर्टिंग में मदद करती है।
अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो बही-खाता रिकॉर्डिंग की कला है, वहीं, अकाउंटिंग विश्लेषण (Anylizing) करने की कला है।
बही-खाता का महत्व
कई ऐसी वजहें हैं, जिसके लिए बिज़नेस का बही-खाते का उचित होना आवश्यक है।
यहां नीचे चार वजहें दी गई हैं, जो बताती हैं कि बिज़नेस के लिए बही-खाता क्यों महत्वपूर्ण है।
1. बिज़नेस संबंधी करों/टैक्स को मैनेज़ करने में सहायक
कोई भी बिज़नेस चलाते समय उचित वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह क़ानूनी रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
आयकर अधिनयम और वस्तु एवं सेवा कर (GST) क़ानूनों के तहत सटीक टैक्स रिटर्न फाइल करने और कर अधिकारियों के साथ अनुपालन (Compliant) बनाए रखने के लिए संगठित रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता होती है।
यही वह जगह है, जहां बही-खाते व्यवसायियों की सबसे ज़्यादा मदद करते हैं।
2. पैसों का सही रिकॉर्ड रखने में सहायक
बिज़नेस के बही-खाते को व्यवस्थित रखने से आपको अपने बिज़नेस के फ़ाइनेंस की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है।
क्या आपकी बिक्री बढ़ रही है? क्या आपके पास अगले महीने सप्लायर्स की पेमेंट करने के लिए पर्याप्त पैसा है? क्या आपके बिज़नेस का कैशफ़्लो बढ़ या घट रहा है?
ये सभी महत्वपूर्ण जानकारी, केवल सही बही-खाते द्वारा ही मिल सकती है।
3. बिज़नेस संबंधी स्मार्ट निर्णय लेने में सहायक
अगर आप अपने बिज़नेस के बही-खाते को सही रखते हैं, तो उसकी रिपोर्ट देखकर आप बिज़नेस के लिए सही निर्णय ले सकते हैं।
चाहे आपको नए उपकरणों में निवेश करना हो, अपनी उत्पाद ऋंखला (Product line) का विस्तार करना हो, या अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करना हो, बही-खाते यह सुनिश्चित करते हैं कि आपके पास संभावित जोखिमों (Potential risks) और पुरस्कारों का मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक जानकारी है।
4. बजट और योजना बनाने में सहायक
अच्छा बही-खाता रिकॉर्ड आपको सही बजट बनाने और बिज़नेस बढ़ाने के लिए उचित योजना बनाने में सहायता करता है।
आप संसाधनों को सही तरीके से आवंटित कर सकते हैं और प्राप्त किए जाने लायक़ वित्तीय लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।
छोटे बिज़नेस के बही-खाते को मैनेज़ करने की प्रक्रिया
किसी भी बिज़नेस के सभी वित्तीय लेन-देन को ट्रैक करना, उसकी रिकॉर्डिंग और संगठन के कार्य बही-खाते में शामिल किए जाते हैं।
यह महत्वपूर्ण कार्य करने वाले व्यक्ति के पास प्रत्येक बिज़नेस संबंधी लेन-देन की निगरानी की ज़िम्मेदारी होती है।
बही-खाते में निम्न कार्य शामिल होते हैं:
- बेची गई वस्तुओं या ग्राहकों को प्रदान की गई सेवाओं के लिए इनवॉइस बनाना
- ग्राहकों से प्राप्त लॉगिंग रसीदें
- सप्लायर्स से मिली हुई इनवॉइस को वेरिफ़ाई करना और उसकी रिकॉर्डिंग करना
- सप्लायर्स/वेंडर या किसी और को किए गए पेमेंट की रिकॉर्डिंग करना
बही-खाते के प्रकार
छोटे बिज़नेस में उपयोग होने वाले बही-खाता को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
सिंगल एंट्री बही-खाता पद्धति
यह विधि सीधे वित्तीय लेन-देन वाले छोटे बिज़नेस के लिए उपयुक्त है। इसमें ऑफ़सेटिंग अकाउंट पर प्रत्येक लेन-देन को आय या व्यय के रूप में केवल एक बार रिकॉर्ड किया जाता है।
यह भले ही काफ़ी आसान होता है, लेकिन सिंगल एंट्री बही-खाता पद्धति में गलती होने की संभावना ज़्यादा होती है और गलती की पहचान करना या धोखाधड़ी वाली गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल होता है।
डबल एंट्री बही-खाता पद्धति
यह विधि सटीक वित्तीय रिकॉर्ड के लिए बेहतरीन होती है। इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को कम से कम दो अकाउंट में दर्ज़ किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि अकाउंटिंग समीकरण (Accounting equation) (संपत्ति = देनदारियां + इक्विटी) हमेशा संतुलन में है।
डबल एंट्री बही-खाता पद्धति किसी भी बिज़नेस की वित्तीय स्थिति का अधिक व्यापक और विश्वसनीय दृश्य (View) प्रदान करती है, जिससे गलतियों की पहचान करना, उचित जांच करना और संतुलन बनाए रखना आसान हो जाता है।
अपने बिज़नेस के लिए सही बही-खाता पद्धति का चुनाव करते समय देखें कि आपके बिज़नेस के लेन-देन की जटिलता क्या है और आप कितनी सटीक जानकारी चाहते हैं।
बही-खाता पद्धति के सिद्धांत
स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, बही-खाते कई मूलभूत सिद्धांतों का पालन करते हैं:
1. एंटिटी (इकाई) सिद्धांत:
बिज़नेस संबंधी लेन-देन को व्यवसायी के लेन-देन से अलग दर्ज़ किया जाता है, जिससे बिज़नेस और व्यवसायी के बीच स्पष्ट अंतर बना रहता है।
2. लागत सिद्धांत:
संपत्तियों को उनकी ऐतिहासिक लागत पर दर्ज़ किया जाता है, जिससे उनके मूल्य का सही पता चलता है।
3. राजस्व/आय मान्यता सिद्धांत:
आय तब दर्ज़ की जाती है, जब उसे अर्जित किया जाता है। यह ज़रूरी नहीं है कि जब भी कैश प्राप्त हो, उसे दर्ज़ कर लिया जाए।
4. मैचिंग सिद्धांत:
खर्चों को उसी अवधि में दर्ज़ किया जाता है, जब उसकी वजह से आय उत्पन्न हुई हो। जिससे होने वाले लाभ के बारे में सटीक जानकारी मिलती है।
छोटे बिज़नेस के लिए बही-खाता कैसे शुरू करें
अब आइए, बही-खाता पद्धति में रिकॉर्डिंग की बुनियादी बातों के बारे में विस्तार से जानें। इस पूरी प्रक्रिया में कई स्टेप्स शामिल होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
स्टेप 1: अपने बिज़नेस और व्यक्तिगत खर्चों को अलग करें
किसी भी बिज़नेस के लिए बिज़नेस संबंधी खर्चों और व्यक्तिगत खर्चों को पूरी तरह से अलग रखना बहुत ज़रूरी होता है। ऐसा करने के लिए बिज़नेस के लिए एक अलग करेंट अकाउंट रखना आवश्यक है।
इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ती है, क्योंकि व्यक्तिगत खर्चों और बिज़नेस के खर्चों को मिलाने से टैक्स रिटर्न फाइल करते समय और बिज़नेस में हुए फ़ायदे या नुक़सान की गणना करते समय कठिनाई हो सकती है।
स्टेप 2: सिंगल एंट्री बही-खाता पद्धति चुनें
बही-खाता की दो मुख्य विधियां हैं, सिंगल एंट्री और डबल एंट्री बही-खाता पद्धति। सिंगल एंट्री काफ़ी आसान है और छोटे बिज़नेस के लिए यह उपयुक्त है। हालांकि, बड़े स्तर के बिज़नेस के लिए डबल एंट्री बही-खाता पद्धति ज़्यादा उपयुक्त है। आजकल ज़्यादातर अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर डबल एंट्री बही-खाता का उपयोग करते हैं।
स्टेप 3: अकाउंटिंग पद्धति चुनें
आप अपने बिज़नेस की अकाउंटिंग को दो तरह से कर सकते हैं:
कैश अकाउंटिंग
जब पैसे एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफ़र किए जाते हैं, तब उसे ट्रैक करें। यह सबसे आसान तरीक़ा है।
संचय (Accrual) अकाउंटिंग
बिल कब भेजे और प्राप्त किए जाते हैं, उसे ट्रैक करें। यह तरीक़ा लंबे समय के लिए सही माना जाता है।
आसानी के लिए कैश चुनें और सटीकता के लिए संचय चुनें।
स्टेप 4: सही उपकरण (Tools) चुनें
अपने लेन-देन पर नज़र रखने के लिए, आपको उन्हें सही तरीके से वर्गीकृत करने की आवश्यकता है। बिज़नेस की अकाउंटिंग को आसानी से करने के लिए MyBusiness जैसी मोबाइल आधारित अकाउंटिंग सेवा का उपयोग किया जा सकता है।
स्टेप 5: अपने सभी लेन-देन को वर्गीकृत करें
कटौती का दावा करने और ऑडिट के दौरान अपना जीवन आसान बनाने के लिए अपने सभी लेन-देन को सटीक रूप से वर्गीकृत करना महत्वपूर्ण है।
अपना सिस्टम स्थापित करते समय किसी विशेषज्ञ की सलाह लें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से हैं।
स्टेप 6: अपने दस्तावेज़ों को संग्रहीत करने के लिए कोई सिस्टम चुनें
MyBusiness जैसी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके अपने खर्चों की रसीदों और रिकॉर्ड को व्यवस्थित रखें।
बही-खाता को एक आदत बनाएं
महीने में एक दिन अलग से निकालें और उसे अपने बिज़नेस के ‘बही-खाता दिवस’ के रूप में निर्धारित करें। उस दिन आप अपने बिज़नेस की वित्तीय स्थिति पर नज़र रखें, बैंक स्टेटमेंट मैच करें, वित्तीय विवरणों (Financial statements) को रिव्यू करें और ज़रूरत पढ़ने पर उसमें बदलाव करें।
याद रखें, ऐसा करना भले ही आसान न हो, लेकिन बिज़नेस को सफल बनाने के लिए बही-खाता मैनेज़ करने में महारत हासिल करना महत्वपूर्ण है!
बही-खाता FAQs:
प्रश्न: बही-खाता मैनेज़ करते समय किन सामान्य गलतियों से बचना चाहिए?
उत्तर: बही-खाता मैनेज़ करते समय सबसे सामान्य गलती व्यक्तिगत और बिज़नेस के खर्चों को आपस में मिलाना, नियमित रूप से अकाउंट्स को मैच न करना और छोटे लेन-देन को नज़रअंदाज़ करना शामिल है।
प्रश्न: क्या छोटे बिज़नेस के लिए बही-खाता मैनेज़ करना आवश्यक है?
उत्तर: बिलकुल! बिज़नेस छोटा हो या बड़ा, सबके लिए बही-खाता मैनेज़ करना आवश्यक होता है। इससे फ़ाइनेंस को मैनेज़ करने और अनुपालन में मदद मिलती है।
प्रश्न: अपने छोटे बिज़नेस के बही-खाते को मैनेज़ करने के लिए मैं किस सॉफ़्टवेयर या एप्लिकेशन का उपयोग कर सकता हूं?
उत्तर: अपने बिज़नेस के बही-खाता को सही तरह से मैनेज़ करने के लिए आप MyBusiness या इसके जैसी किसी अकाउंटिंग ऐप या सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं।
प्रश्न: मुझे अपने बही-खाते को कितनी बार अपडेट करना चाहिए?
उत्तर: सटीक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए बही-खाते को नियमित अपडेट करना आवश्यक होता है। आप रोज़ाना दिन के अंत में अपने बही-खाते पर एक नज़र ज़रूर डालें।
प्रश्न: मुझे अपने वित्तीय रिकॉर्ड कब तक रखने चाहिए?
उत्तर: भारतीय कर कानूनों के अनुसार, रिकॉर्ड को कम से कम छह वर्षों तक रखना अच्छा माना जाता है।
प्रश्न: क्या बही-खाता मुझे लोन लेने या निवेश प्राप्त करने में मदद कर सकता है?
उत्तर: हां, व्यवस्थित और सटीक वित्तीय रिकॉर्ड रखने से आपकी विश्वसनीयता बढ़ती है, जिससे लोन लेने या निवेश प्राप्त करने की संभावना बढ़ा जाती है।
प्रश्न: नकद-आधार और संचय-आधार बही-खाता के बीच क्या अंतर है?
उत्तर: नकद-आधार (Cash-basis) बही-खाता पद्धति लेन-देन को तब रिकॉर्ड करती है, जब कैश प्राप्त होता है या पेमेंट किया जाता है। जबकि, संचय-आधार (Accrual-basis) बही-खाता पद्धति कैशफ़्लो की परवाह किए बिना तब लेन-देन को रिकॉर्ड करती है, जब वे होते हैं।
प्रश्न: बही-खाता मैनेज़ करने के लिए किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर: बही-खाता मैनेज़ करने के लिए चालान (इनवॉइस), रसीदें, बैंक स्टेटमेंट, पर्चेस ऑर्डर्स और आपके बिज़नेस से संबंधित किसी भी अन्य वित्तीय दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न: छोटे बिज़नेस के लिए बही-खाता कर नियोजन (Tax planning) में कैसे मदद कर सकता है?
उत्तर: सटीक रिकॉर्ड आपको कटौतियों, छूटों और संभावित कर-बचत के अवसरों की पहचान करने में मदद करते हैं, जिससे कर नियोजन आसान हो जाता है।