बिज़नेस की अकाउंटिंग संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी

बिज़नेस चलाना कोई आसान काम नहीं है। बिज़नेस चलाते समय उत्पाद या सेवा की डिलीवरी, संसाधनों का समन्वय और कर्मचारियों को मैनेज़ करना, सब कुछ कठिन है। इसलिए हर व्यवसायी को सामान्य अकाउंटिंग की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए।

ऐसा करने से और शुरू से ही प्रभावी अकाउंटिंग प्रक्रिया को लागू करके, बिज़नेस संबंधी समस्याओं जैसे “पूंजी की कमी”, “कर्ज़”, “कर से जुड़े मुद्दे”, और अन्य समस्याओं से बचा जा सकता है।

इस ब्लॉग में हम छोटे बिज़नेस कैसे अपनी अकाउंटिंग को आसान बना सकते हैं, इसके बारे में बात करेंगे। इसके साथ ही हम यह भी बताएंगे कि कैसे छोटे व्यवसायी अपने बिज़नेस की अकाउंटिंग के बारे में समझकर उस पर नज़र रख सकते हैं। चाहे आप छोटा स्टोर चलाते हैं, पारिवारिक बिज़नेस संभालते हैं या आप कोई मध्यम स्तर का उद्योग चलाते हैं, यहां दी गई जानकारी और उपाय आपको बिज़नेस की अकाउंटिंग संबंधी मूल बातें समझने में मदद करेंगी।

छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग में शामिल तत्व

आइए सबसे पहले हम छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग में रोज़ाना उपयोग होने वाले कुछ सामान्य शब्दावली से शुरू करते हैं। इन शब्दावलियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये बिज़नेस फ़ाइनेंस की वास्तविक स्थिति दर्शाते हैं।

1. संपत्ति (Assets)

बिज़नेस में उपयोग होने वाला कोई भी संसाधन जो आर्थिक मूल्य उत्पन्न कर सकता है, उसे संपत्ति कहा जाता है। कोई संपत्ति मूर्त (Tangible) या अमूर्त (Intangible) हो सकती है।

मूर्त संपत्ति भौतिक रूप से मौजूद होती है और इसका मालिकाना हक़ व्यवसायी के पास होता है, जैसे कि उपकरण, ज़मीन या फ़ैक्ट्री आदि। अमूर्त संपत्तियां भौतिक रूप से मौजूद नहीं होती हैं, लेकिन फिर भी उनका मूल्य होता है।

2. देनदारियां (Liabilities)

किसी भी वित्तीय दायित्व (Financial obligation) जैसे कर्ज़, इनकम टैक्स, मज़दूरी, अकाउंट पेयबल, लोन और अन्य को देनदारियां कहा जाता है। देनदारियां दो प्रकार की हो सकती हैं: वर्तमान और गैर-वर्तमान (Non-current) देनदारियां।

अकाउंट पेयबल जैसी देनदारियां जो बिज़नेस पर अल्पावधि (Short-term) में बकाया होती है, उसे वर्तमान देनदारियां कहा जाता है। वहीं, जो देनदारियां लंबी अवधि के लिए होती हैं, उन्हें गैर-वर्तमान देनदारियां कहा जाता है।

3. अकाउंट रिसीवबल (Accounts Receivable)

अकाउंट रिसीवबल, सामान्य बही-खाता (General ledger) का एक शब्द है, जो यह दर्शाता है कि वस्तुओं या सेवाओं के बदले ग्राहक क़ानूनी रूप से कितनी पेमेंट करने एक लिए बाध्य हैं।

4. अकाउंट पेयबल (Accounts Payable)

अकाउंट पेयबल, अकाउंट रिसीवबल के विपरीत है। यह उस अमाउंट के बारे में जानकारी देता है, जो व्यवसायी अपने सप्लायर्स या कर्ज़ दाताओं को देना चाहते हैं। यह दायित्व (Liability) का एक हिस्सा, क्योंकि व्यवसायी क़ानूनी रूप से इसकी पेमेंट करने के लिए बाध्य होते हैं।

5. कैश बेसिस अकाउंटिंग (Cash Basis Accounting)

कैश बेसिस अकाउंटिंग पद्धति का मतलब है कि जब पैसा एक हाथ से दूसरे हाथ में ट्रांसफ़र होता है, तब आप आय और व्यय रिकॉर्ड करते हैं। उदाहरण के लिए, आप बिक्री से राजस्व तभी रिकॉर्ड करते हैं, जब कोई ग्राहक आपको पेमेंट करता है।

इसका उपयोग ज़्यादातर छोटे व्यवसायियों और व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, क्योंकि यह सबसे आसान अकाउंटिंग पद्धति है।

6. संग्रहण बेसिस अकाउंटिंग (Accrual Basis Accounting)

संग्रहण अकाउंटिंग पद्धति का मतलब है कि जब आप बिक्री करते हैं, उसी समय आय और बिक्री पर होने वाले खर्चों को रिकॉर्ड करते हैं, भले ही कैश कभी भी एक हाथ से दूसरे हाथ में ट्रांसफ़र हो।

उदाहरण के लिए, जब आप किसी ग्राहक को उधार पर सामान बेचते हैं, उसी समय आप उसे राजस्व के रूप में रिकॉर्ड करते हैं, भले ही ग्राहक अगले 30 दिनों तक इनवॉइस की पेमेंट न करे।

7. डबल एंट्री बही-खाता (Double Entry Bookkeeping)

डबल एंट्री बही-खाता, अकाउंटिंग की एक प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन को डेबिट और क्रेडिट अकाउंट्स में दर्ज़ किया जाता है। प्रत्येक लेन-देन के लिए दर्ज़ की गई एंट्री समान होनी चाहिए।

8. राजस्व और लाभ (Revenues And Gains)

राजस्व वह पैसा होता है, जो बिज़नेस में किसी उत्पाद या सेवा की बिक्री के बाद कमाया जाता है।

वहीं, लाभ वह पैसा होता है, जो बिज़नेस उन स्त्रोतों के माध्यम से कमाता है, जो सामान्य गतिविधियों का हिस्सा नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कम क़ीमत पर ज़मीन जैसी संपत्ति को ख़रीदकर उसे अधिक क़ीमत पर बेचना लाभ है।

9. व्यय और हानि (Expenses and Losses)

व्यय और हानि दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।

व्यय वे लागतें हैं जो बिज़नेस में राजस्व उत्पन्न करने वाले कार्यों पर खर्च किए जाते हैं। जबकि, हानि वे लागतें हैं जो बिज़नेस में उन कार्यों पर खर्च किया जाता है, जो बिज़नेस की प्राथमिक गतिविधि का हिस्सा नहीं है।

10. शुद्ध आय (Net Income)

शुद्ध आय को शुद्ध कमाई भी कहा जा सकता है। इसकी गणना बिक्री राजस्व से COGS (बेची गई वस्तुओं की लागत), खर्च, कर और ब्याज को घटाकर किया जाता है।

शुद्ध आय की गणना करने का सूत्र:

[बिक्री राजस्व – (बेची गई वस्तुओं की लागत + खर्च + कर + ब्याज)]

इससे पता चलता है कि अगर राजस्व बिज़नेस की आय से अधिक है तो लाभ हो रहा है।

छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग में शामिल सामान्य रिपोर्ट्स

छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग का सबसे महत्वपूर्ण पहलू करों के लिए रिकॉर्ड और अपडेटेड रिपोर्ट रखना है। व्यवसायियों को संरचित (Structured) और सटीक रिपोर्ट का उपयोग करना चाहिए, जो बिज़नेस के भविष्य का पूर्वानुमान लगाने में मदद करती हैं।

इन रिकॉर्ड और रिपोर्ट्स का उपयोग भविष्य में बिज़नेस को आगे बढ़ाने की योजना बनाने में उपयोग किया जा सकता है। इसलिए नीचे हमने कुछ सामान्य और महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स के बारे में बताया है, जो बिज़नेस की अकाउंटिंग सही तरीके से मैनेज़ करने के लिए आवश्यक होती हैं।

1. बैलेंस शीट (Balance Sheet)

किसी बिज़नेस की बैलेंस शीट से यह पता चलता है कि बिज़नेस के पास कितनी संपत्ति है और एक निश्चित अवधी में उसके ऊपर कितना कर्ज़ है।

बैलेंस शीट में बैंक अकाउंट की डिटेल्स, निवेश अकाउंट की जानकारी, और अकाउंट रिसीवबल (ग्राहकों द्वारा उधार पर की गई ख़रीदारी के लिए बकाया अमाउंट) की जानकारी शामिल होती है। 

आसान शब्दों में कहें तो बैलेंस शीट बिज़नेस की संपत्ति और देनदारियों की सही जानकारी देती है।

2. लाभ और हानि विवरण (Profit & Loss Statements)

जब बात बिज़नेस के फ़ाइनेंस संबंधी रिपोर्ट्स की आती है, तो लाभ और हानि विवरण सबसे महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स में से एक है।

लाभ और हानि विवरण से यह जानकारी मिलती है कि बिज़नेस को कितना लाभ हो रहा है, कहां से कितना पैसा आ रहा है और कहां पर कितना पैसा खर्च हो रहा है।

व्यवसायियों को रोज़ाना अपने बिज़नेस के लिए लाभ और हानि विवरण बनाना और उसका विश्लेषण करना चाहिए, ताकि पता चल सके कि बिज़नेस के लिए क्या ठीक से काम कर रहा है और क्या नहीं।

3. आकस्मिक देनदारियां (Contingent Liabilities)

ऐसी देनदारियां, जो किसी निश्चित घटना के परिणाम के आधार पर होती हैं। उदाहरण के लिए संभावित मुकदमे या वारंटी के ऊपर होने वाला खर्च। 

4. अकाउंट पेयबल एजिंग रिपोर्ट्स (Accounts Payable Aging Reports)

बिज़नेस के साथ सप्लायर्स जुड़े होते हैं और अकाउंट पेयबल रिपोर्ट आपको अपने सप्लायर्स को समय पर पेमेंट करने में मदद करती है।

इस रिपोर्ट से पता चलता है कि आपके ऊपर किसका और कितना बकाया है, ताकि आप अपनी अकाउंट बुक को अपडेट रख सकें और तय डेट से पहले पेमेंट कर सकें। ऐसा करने से आप विलंब शुल्क (Late fees) और अन्य लागतों से बच सकते हैं। केवल यही नहीं इससे आपके बिज़नेस की विश्वसनीयता भी बढ़ती है।

5. अकाउंट रिसीवबल एजिंग रिपोर्ट्स (Account Receivable Aging Reports)

जब तक आपका बिज़नेस एक गैर सरकारी संगठन (NGO) या किसी धर्मार्थ संगठन का हिस्सा नहीं है, आपको हर बिक्री के लिए इनवॉइस भेजना अनिवार्य है। केवल यही नहीं, आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी पेमेंट्स की जाएं और कलेक्ट की जाएं।

इस रिपोर्ट से यह जानकारी मिलती है कि सभी बकाया अमाउंट की पेमेंट समय पर की जा चुकी है और कंपनी के ऊपर कोई कर्ज़ नहीं है।

6. ग्राहक द्वारा राजस्व (Revenue by customer)

ग्राहक राजस्व रिपोर्ट से यह पता चलता है कि आपने एक निश्चित अवधि में ग्राहकों से कितना पैसा कमाया। इससे आपको अपने राजस्व के मूल्यवान स्त्रोतों को पहचानने में मदद मिलेगी और आप कन्वर्ज़न पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे एवं निवेश पर समग्र रिटर्न (ROI) पढ़ा पाएंगे।

छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग के लाभ

छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग को सही तरह से मैनेज़ करने से व्यवसायियों को वित्त मैनेज़ करने और लंबे समय में बिज़नेस को सफल बनाने में मदद मिलती है।

व्यवस्थित रिकॉर्ड बनाए रखने से लेकर सही निर्णय लेने तक, अकाउंटिंग बिज़नेस की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखनी के लिए एक ठोस आधार प्रदान करती है। यह बिज़नेस को सटीक वित्तीय विवरण (Financial statements) तैयार करने, समय के साथ उनके प्रदर्शन की तुलना करने और क़ानूनी मामलों में साक्ष्य के रूप में वित्तीय डेटा (Financial data) का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

नीचे छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग से होने वाले लाभों के बारे में बताया गया है:

  • सही तरह से रिकॉर्ड रखने में सहायक
  • वित्तीय विवरण (Financial statements) तैयार करने में सहायक
  • वित्तीय परिणामों (financial results) की तुलना करने में सहायक
  • सही निर्णय लेने में सहायक
  • क़ानूनी साक्ष्य के रूप में सहायक
  • कराधान (Taxation) मामलों में सहायक
  • बिज़नेस का मूल्यांकन करने में सहायक

निष्कर्ष

एक आसान और पारदर्शी (Transparent) अकाउंटिंग प्रणाली का होना, हर बिज़नेस की सफलता के लिए आवश्यक है। यह आपको सही निर्णय लेने और आसानी से अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करती है। वहीं, दूसरी तरफ़ वर्तमान प्रतियोगिता के दौर में मैनुअल अकाउंटिंग सिस्टम के ऊपर निर्भर रहना बिज़नेस को कई साल पीछे ले जा सकता है।

ऐसे में क्यों न आप तकनीक का इस्तेमाल करके अपने छोटे बिज़नेस की अकाउंटिंग को बेहतर बनाएं और अपने बिज़नेस को एक नई उंचाई तक ले जाएं।

बिज़नेस और फ़ाइनेंस संबंधी ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए MyBusiness ब्लॉग पेज पर आते रहें।

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